तेनालीराम और घमंडी जादूगर : तेनालीराम की कहानियाँ
एक बार विजयनगर राज्य के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक जादूगर आया |उसने बड़ा हैरतअंगेज करतब दिखाया और अपने जादू से दरबार में उपस्थित सभी लोगों का मनोरंजन किया |राजा कृष्णदेव राय ने उस जादूगर को सभी का मनोरंजन करने के लिए ढेर सारे उपहार दिए| जादूगर ने उपहार लिए और घमंड से कहा "इस दरबार में ऐसा कोई है इस दरबार में जो मेरी तरह करतब दिखा सकता है|"
सभी दरबारी उस जादूगर की यह चुनौती सुनकर सन्न रह गए| लेकिन तेनालीराम को जादूगर की इस बात पर बहुत गुस्सा आया और वह तुरंत बोले, "हाँ, मैं चुनौती स्वीकार करता हूँ। जो मैं करतब बंद आँखों से सकता हूँ, यदि वही करतब तुम आँख खोल कर सकते हो तो मैं तुम से हार मान लूंगा। " जादूगर को अपने ऊपर बहुत घमंड था, उसने बिना सोचे समझे तेनालीराम की चुनौती को स्वीकार कर लिया|
अब तेनालीराम ने राजमहल के माली से रेत मंगवाई और उन्होंने थोड़ी रेत अपनी बंद आंखों पर डाली और थोड़ी देर बाद कपड़े से झटक कर अपनी आँखों को साफ कर लिया और जादूगर से कहा "यही करतब तुम आँख खोल कर दिखा सकते हो?"
जादूगर बिना सोचे समझे, रेत के कणों को अपनी आँखों के अंदर डाल दिया| जादूगर की आँखों में जलन होने लगी| उसने तेनालीराम से हार मान ली और हाथ जोड़कर राजा माफ़ी मांगी और राजदरबार से चला गया|
राजा कृष्णदेव राय तेनालीराम की चतुराई से अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्होंने राज्य का सम्मान बनाए रखने के लिए तेनालीराम को सम्मानित किया।
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