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ईमानदार लकड़हारा | कर्तव्यनिष्ठा लकड़हारे की कहानी हिंदी में |
ईमानदार लकड़हारा
एक बार की बात है| एक गांव में एक गरीब लकड़हारा रहता था |वो लकड़ियां काट कर अपना जीवन व्यतीत करता था | वह एक दिन लकड़ियां काटने जंगल में पहुंच गया | लकड़हारा पेड़ पर चढ़ कर लकड़ियां काट रहा था| तब ही उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई| वह नदी के किनारे बैठ कर रो रहा था| और प्रार्थना कर रहा था "मेरी कुल्हाड़ी वापस मिल जाए|"
एक देवी प्रकट हुई| देवी ने लकड़हारे के रोने का कारण पूछा| लकड़हारे ने जवाब दिया "मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई है।" देवी नदी में गई और एक सोने की कुल्हाड़ी ले आई और पूछा "क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?" लकड़हारे ने जवाब दिया "नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है|"
तब देवी ने फिर से नदी में जाकर चाँदी की कुल्हाड़ी ले आई और लकड़हारे से पूछा, "क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?" और लकड़हारे ने जवाब दिया "नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है|"
देवी इस बार लोहे की कुल्हाड़ी लेकर आई और लकड़हारे से पूछा, "क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?" लकड़हारे ने जवाब दिया "हाँ, यह मेरी ही कुल्हाड़ी है | देवी लकड़हारे की ईमानदारी देखकर बहुत खुश हुई और चांदी और सोने की कुल्हाड़ी भी उपहार स्वरूप लकड़हारे को दे दिये| लकड़हारा कुल्हाड़ी पाकर बहुत खुश हुआ|
शिक्षा : ईमानदारी सदा सरही जाती है|

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