एक मौका दोबारा नहीं खटखटाता
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एक मौका दोबारा नहीं खटखटाता |
एक मौका दोबारा नहीं खटखटाता
एक समय की बात है, एक गांव में एक बहुत ही खुश और संतुष्ट किसान रहता था। वह खेती बाड़ी कर अपना गुजारा करता था।
वह बहुत ही संतुष्ट किसान था। एक बार उनके यहां ज्ञानी व्यक्ति आया। उस ज्ञानी व्यक्ति ने कहा "अगर तुम्हारे पास अंगूठा के जितना भी हीरा हो, तो तुम अपना एक पूरा गांव खरीद सकते हो। और अगर तुम्हारे पास मुट्ठी के बराबर का हीरा हो, तब तुम शायद अपने राज्य के ही मालिक बन सकते हो।
इस तरह से ज्ञानी व्यक्ति के मुंह से हीरे की बात सुनकर किसान बिल्कुल ना खुश और असंतुष्ट हो गया। वह हर समय उस हीरे के बारे में ही सोचने लगा। उसने सोचा क्यों ना हीरे की तलाश की जाए।
उसने अपने खेतों को बेचने का बंदोबस्त किया और अपने घर वालों की देखभाल का इंतजाम करके वह हीरो की खोज में निकल गया।
वह पूरे राज्य में घूमता रहा लेकिन उसे कहीं भी हीरा नहीं मिला। उसने दूसरे कई राज्यों में भी हीरों की तलाश की, लेकिन वह बिल्कुल पूरी तरह से टूट चुका था। थक कर उसने नदी में खुद कर खुदकुशी कर ली।
इस तरफ जिस व्यक्ति ने उसके खेत खरीदे थे, वह एक बार उन खेतों से गुजरने वाली नहर में अपने ऊंटों को पानी पिला रहा था। उसने नहर के दूसरे किनारे पर पर देखा कि एक पत्थर बहुत ही चमचम रहा है। उसने उसे पत्थर को उठाकर देखा, जैसे ही उस पत्थर पर सूरज की रोशनी पड़ी वह इंद्रधनुष की तरह सात रंग में जगमगा उठा।
उस व्यक्ति ने सोचा कि यह पत्थर बैठक में सजाने के काम आएगा और उसे उठाकर घर ले आया और बैठक में सजा दिया। कुछ ही दिन बाद वह ज्ञानी व्यक्ति फिर से वहां आया । उस किसान ने उस ज्ञानी व्यक्ति को अपने घर पर भोजन के लिए निमंत्रण दिया। उस ज्ञानी व्यक्ति ने देखा की बैठक में एक पत्थर जगमगा रहा था।
ज्ञानी व्यक्ति ने उसे पत्थर की जांच की। वह ज्ञानी व्यक्ति हीरो का अच्छा जानकार था। उसने पत्थर को देखते ही कहा कि यह हीरा है। लेकिन किसान ने कहा कि यह हीरा नहीं है, यह उसे नहर के पास से मिला था। किसान ने कहा कि वहां और भी कई सारे ऐसे ही पत्थर पड़े थे।
वह दोनों नहर के पास गए और कुछ पत्थर को उठा लिया है और जांच के लिए भेज दिया। वे सारे पत्थर ही हीरें थे। उन्होंने पाया कि उस खेत में दूर-दूर तक हीरे दबे हुए थे।
पुराना किसन हीरो की खोज में पूरे राज्य में घूमता रहा लेकिन वह हीरे उसके खेतों में ही दबे थे।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अक्सर अवसर हमारे पैरों के नीचे ही होते हैं। हमें इसके लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं होती। जरूरत है तो सिर्फ उसे पहचानने की।जब लोग मौके को पहचान नहीं पाते तो उन्हें अवसर का खटखटाना शोर लगता है। और एक बार आया मौका दोबारा नहीं खटखटाता।
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